संस्मरण >> मेरे मित्र : कुछ महिलाएं, कुछ पुरुष मेरे मित्र : कुछ महिलाएं, कुछ पुरुषखुशवंत सिंह
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मेरे मित्र : कुछ महिलाएं, कुछ पुरुष....
प्रस्तुत पुस्तक के विषय-व्यक्तित्व मैंने बिना किसी तरतीब के चुने हैं। इनमें भी वे महिलाएं और पुरुष विशेष हैं, जिनसे कि 60 और 70 के दशकों में मेरी दोस्ती हुई। अपने बारे में मेरे इन उद्गारों को पढ़कर कुछ तो इतने नाराज़ हुए कि उनसे बोलचाल ही बंद हो गई, पर कुछ खुश भी हुए। उन्होंने माना कि उनके प्रति मैंने अपना स्नेह का ही इज़हार किया है। कुछ ऐसे भी है, जिन्होंने अपने बारे में मेरे लिखे को पढ़ने का जहमत उठाना भी गवारा नहीं किया और कहा कि मैं उनके बारे में चाहे जो सोचता रहूँ, उससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। पर अब आप ही बताएँ कि उनके बारे में मेरा यह लिखना किसी काम का है या नहीं।
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